भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने और भारतीय कला, साहित्य, संगीत, और परंपराओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और समर्थन कर रहे हैं। हाल ही में आयोजित प्रधानमंत्री मोदी के विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। यह आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति की समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि भारत की विविधता और एकता को भी उजागर करता है।
कार्यक्रम का उद्देश्य और महत्व
प्रधानमंत्री मोदी का यह सांस्कृतिक कार्यक्रम भारत की प्राचीन परंपराओं, कला, संगीत, नृत्य और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य:
- भारतीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण – भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना।
- स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को बढ़ावा देना – लोक कलाकारों और दस्तकारों को एक मंच प्रदान करना।
- युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ना – युवाओं में भारतीय संस्कृति के प्रति रुचि जाग्रत करना।
- वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करना – भारत की कला और परंपराओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना।
कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ
प्रधानमंत्री मोदी के इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण तत्व शामिल थे, जिनमें विभिन्न पारंपरिक कलाओं, संगीत, नृत्य और हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया गया।
1. पारंपरिक लोकनृत्य और संगीत
इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के लोकनृत्य प्रस्तुत किए गए। प्रमुख आकर्षण थे:
- राजस्थान का घूमर नृत्य – पारंपरिक राजस्थानी लोक नृत्य जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
- पंजाब का भांगड़ा – ऊर्जावान और जोश से भरा यह नृत्य कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा।
- मणिपुरी और कथकली – उत्तर-पूर्वी भारत के नृत्य शैलियों ने भी दर्शकों का दिल जीता।
- कथक और भरतनाट्यम – भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों की भव्य प्रस्तुतियाँ हुईं।
2. शास्त्रीय संगीत और वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति
कार्यक्रम में भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। इनमें प्रमुख रूप से:
- पंडित जसराज द्वारा हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन
- डॉ. बालमुरलीकृष्ण द्वारा कर्नाटकी संगीत
- सितार वादन – पंडित रविशंकर की शैली में
- तबला वादन – उस्ताद जाकिर हुसैन की प्रेरणा से युवा कलाकारों की प्रस्तुति
3. साहित्य और काव्य पाठ
इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारतीय साहित्य की समृद्ध परंपरा को भी दर्शाया गया। प्रमुख कवियों और लेखकों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं:
- रामधारी सिंह दिनकर की राष्ट्रवादी कविताएँ
- सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य रचनाएँ
- मिर्जा ग़ालिब और प्रेमचंद के साहित्य का पाठ
4. हस्तशिल्प और प्रदर्शनी
भारतीय शिल्पकारों और दस्तकारों द्वारा बनाई गई कृतियों की प्रदर्शनी भी इस कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण थी। इसमें शामिल थे:
- वाराणसी की बनारसी साड़ियाँ
- राजस्थान का ब्लू पॉटरी कारीगरी
- मध्य प्रदेश की गोंड चित्रकला
- बंगाल की कालीघाट पेंटिंग्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन
प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा:
“भारत की संस्कृति और परंपराएँ हमारी आत्मा हैं। हमें अपनी जड़ों को पहचानना होगा और इन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना होगा। भारतीय कला, संगीत, और साहित्य को संरक्षित करने के लिए हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”
उन्होंने यह भी घोषणा की कि भारत सरकार सांस्कृतिक संरक्षण के लिए विशेष फंड बनाएगी, जिससे स्थानीय कलाकारों को अधिक अवसर प्राप्त होंगे।
आयोजन स्थल और दर्शकों की प्रतिक्रिया
यह कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित किया गया, जिसमें हजारों दर्शकों ने भाग लिया। देश-विदेश के गणमान्य व्यक्तियों, कलाकारों और शिक्षाविदों ने इस भव्य आयोजन की सराहना की।
- लोकप्रिय हस्तियों की भागीदारी – बॉलीवुड और कला जगत की कई जानी-मानी हस्तियों ने कार्यक्रम में शिरकत की।
- युवाओं की भागीदारी – विश्वविद्यालयों के छात्रों को विशेष आमंत्रण देकर उन्हें इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया।
इस कार्यक्रम के प्रभाव और आगे की योजनाएँ
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित यह सांस्कृतिक कार्यक्रम केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। सरकार ने कई नई घोषणाएँ कीं:
- भारतीय कला और संस्कृति के लिए नए संस्थान स्थापित किए जाएंगे।
- गांवों में कलाकारों को समर्थन देने के लिए विशेष योजनाएँ लाई जाएंगी।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय सांस्कृतिक प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का सांस्कृतिक कार्यक्रम भारत की कला, संगीत, साहित्य और पारंपरिक विरासत को आगे बढ़ाने का एक सराहनीय प्रयास था। इस कार्यक्रम ने न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय संस्कृति की छवि को मजबूत किया।
इस तरह के आयोजनों से न केवल लोक कलाकारों को प्रोत्साहन मिलता है, बल्कि यह देश के सांस्कृतिक गौरव को भी नई ऊँचाइयों तक ले जाता है। भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को संरक्षित करने और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए यह कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।