परिचय
नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन को देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने के लिए समर्पित किया जाता है। तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है, जो शक्ति, साहस और शांति की प्रतीक मानी जाती हैं। मां चंद्रघंटा का नाम उनके मस्तक पर सुशोभित अर्धचंद्र के कारण पड़ा है। इनका स्वरूप अत्यंत दिव्य, सौम्य और तेजस्वी है। माता चंद्रघंटा की कृपा से साधक को अद्भुत आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकता है। इनके दस हाथ हैं, जिनमें वे शस्त्र धारण करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। माता सिंह पर सवार रहती हैं, जिससे वे शक्ति और वीरता की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित रहता है, जिससे इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए भक्तों को शुद्ध मन और आत्मा से उनकी आराधना करनी चाहिए। पूजा की विधि निम्नलिखित है:
- स्नान और संकल्प – प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मां चंद्रघंटा की पूजा करने का संकल्प लें।
- मूर्ति या चित्र की स्थापना – पूजा स्थल पर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पवित्र जल से अभिषेक – मां को गंगाजल, दूध, दही और शहद से स्नान कराएं।
- पूजा सामग्री अर्पण – मां को लाल फूल, अक्षत, रोली, कुमकुम, धूप, दीप और चंदन अर्पित करें।
- मंत्र जाप – ‘ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
- प्रसाद चढ़ाएं – मां को मिठाई, फल, पंचामृत और विशेष रूप से दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।
- आरती करें – मां की आरती करें और घंटी बजाकर वातावरण को पवित्र करें।
मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
मां चंद्रघंटा की पूजा से व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और शांति की प्राप्ति होती है। यह पूजा विशेष रूप से निम्नलिखित लाभ प्रदान करती है:
- भय और नकारात्मक ऊर्जा का नाश करती है।
- मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान करती है।
- आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है।
- दुश्मनों और बाधाओं से रक्षा करती है।
- जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता लाती है।
भोग और प्रसाद
मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बने मिष्ठान का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से दूध से बनी खीर, माखन-मिश्री और सफेद मिठाइयाँ मां को अर्पित की जाती हैं। इससे भक्तों को स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। यह पूजा साधकों को ध्यान और योग में सिद्धि प्राप्त करने में सहायक होती है। मां की कृपा से व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और उसका आत्मबल बढ़ता है।
मां चंद्रघंटा से संबंधित कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब महिषासुर और अन्य दानवों ने देवताओं पर आक्रमण किया, तब मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का रूप धारण कर युद्ध किया। उनके घंटे की आवाज़ से राक्षस भयभीत हो गए और अंततः मां चंद्रघंटा ने उन सभी का संहार किया। इसी कारण वे शक्ति और विजय की देवी मानी जाती हैं।
निष्कर्ष
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को शक्ति, साहस और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और वह सभी प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक को हर कार्य में सफलता और विजय प्राप्त होती है।