दिल्ली का बजट: 10 वर्षों में 32 हजार करोड़ से 77 हजार करोड़ तक की यात्रा
प्रस्तावना
दिल्ली, भारत की राजधानी और सबसे गतिशील महानगरों में से एक, हर वर्ष एक विस्तृत बजट योजना तैयार करता है जो विकास, बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रभावित करता है। हाल ही में आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने यह दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में दिल्ली का बजट 32 हजार करोड़ से बढ़कर 77 हजार करोड़ रुपये हो गया है।
यह लेख दिल्ली सरकार के बजट की ऐतिहासिक वृद्धि, प्रमुख व्यय क्षेत्रों, वित्तीय प्रबंधन और आगामी चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डालता है।
दिल्ली के बजट की ऐतिहासिक वृद्धि
दिल्ली का बजट पिछले दशक में तेजी से बढ़ा है। यदि हम संख्याओं पर ध्यान दें, तो यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने राजस्व संग्रहण और व्यय प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।
वर्ष | बजट (हजार करोड़ रुपये में) |
2013-14 | 32 |
2014-15 | 36 |
2015-16 | 41 |
2016-17 | 46 |
2017-18 | 52 |
2018-19 | 60 |
2019-20 | 65 |
2020-21 | 70 |
2021-22 | 72 |
2022-23 | 77 |
इस तालिका से यह स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार ने राजस्व को स्थिर रूप से बढ़ाया है और सामाजिक व बुनियादी ढांचे के सुधार में निवेश किया है।
दिल्ली बजट के मुख्य घटक
दिल्ली सरकार का बजट मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में खर्च किया जाता है:
1. शिक्षा क्षेत्र पर निवेश
दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति पूरे देश में सराही जाती है।
- सरकारी स्कूलों का उन्नयन किया गया है।
- शिक्षा बजट में साल-दर-साल वृद्धि देखी गई है।
- नई स्कूल बिल्डिंग, स्मार्ट क्लासरूम और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू किए गए हैं।
- 2023-24 के बजट में शिक्षा पर 16,500 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
2. स्वास्थ्य सेवा का विस्तार
दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार ने बड़े निवेश किए हैं।
- फ्री मेडिकल सेवाएँ, मुफ्त दवाइयाँ और जांच सुविधाएँ दी जा रही हैं।
- AIIMS और GTB अस्पताल जैसे बड़े चिकित्सा संस्थानों का उन्नयन किया गया।
- स्वास्थ्य बजट 9,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गया।
3. परिवहन और इन्फ्रास्ट्रक्चर
दिल्ली में यातायात और सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए भारी निवेश किया गया है।
- दिल्ली मेट्रो का विस्तार किया गया।
- नई बसें और इलेक्ट्रिक वाहन नीतियाँ लागू की गईं।
- सड़कों का उन्नयन और फ्लाईओवर निर्माण हुआ।
- परिवहन बजट 11,000 करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है।
4. पर्यावरण और स्वच्छता
दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण और स्वच्छता को लेकर कई नीतियाँ अपनाई हैं:
- यमुना सफाई प्रोजेक्ट पर भारी निवेश किया गया।
- स्मॉग टावर और इलेक्ट्रिक वाहन नीति लागू की गई।
- पर्यावरण संरक्षण के लिए 4,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
5. सामाजिक कल्याण योजनाएँ
- बिजली और पानी पर सब्सिडी जारी है।
- महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा योजना चलाई जा रही है।
- पेंशन योजनाओं और गरीब तबके के लिए वित्तीय सहायता बढ़ी है।
बजट में वृद्धि के कारण
दिल्ली के बजट में वृद्धि का प्रमुख कारण राजस्व संग्रहण में वृद्धि और खर्च की प्राथमिकताओं में बदलाव है।
- GST और कर संग्रहण में वृद्धि
- दिल्ली सरकार ने कर सुधार लागू किए, जिससे राजस्व में वृद्धि हुई।
- व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि हुई जिससे राज्य को अधिक राजस्व मिला।
- शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस
- दिल्ली सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी, जिससे लोगों का भरोसा बढ़ा और सरकारी सेवाओं का प्रभाव दिखा।
- सब्सिडी योजनाओं और राहत पैकेज
- बिजली और पानी पर सब्सिडी देने के बावजूद सरकार का बजट संतुलित बना रहा।
- इन योजनाओं से जनता को राहत मिली, जिससे कर वसूली में सुधार हुआ।
बजट से जुड़े विवाद और चुनौतियाँ
- बढ़ता राजकोषीय घाटा
- दिल्ली सरकार का व्यय तेज़ी से बढ़ा है, लेकिन राजस्व उस अनुपात में नहीं बढ़ा।
- सरकार को कर्ज लेने की जरूरत बढ़ सकती है।
- पर्यावरण और प्रदूषण
- दिल्ली अभी भी गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रही है।
- यमुना सफाई के लिए किए गए निवेश का अभी पूरा परिणाम नहीं दिखा है।
- विपक्ष का आरोप
- भाजपा और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार और वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगाए हैं।
- मुफ्त योजनाओं की स्थिरता पर सवाल उठाए गए हैं।
भविष्य की योजनाएँ और बजट दृष्टिकोण
दिल्ली सरकार के अगले चरण के बजट में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ शामिल हो सकती हैं:
- नई स्वास्थ्य और शिक्षा योजनाएँ
- पर्यावरण सुधार के लिए हाइड्रोजन बसें और हरित ऊर्जा परियोजनाएँ
- यमुना नदी पुनरुद्धार परियोजना
- आर्थिक और डिजिटल विकास के लिए नई नीतियाँ
निष्कर्ष
दिल्ली का बजट पिछले 10 वर्षों में दोगुने से अधिक हो गया है, जो यह दर्शाता है कि सरकार ने विकास योजनाओं, सार्वजनिक कल्याण और आधारभूत ढाँचे में भारी निवेश किया है।
हालांकि, चुनौतियाँ बनी हुई हैं—वित्तीय संतुलन, पारदर्शिता और प्रभावी प्रशासन की जरूरत है। यदि सरकार इन मुद्दों का समाधान कर पाती है, तो दिल्ली न केवल भारत की राजधानी बल्कि एक आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त महानगर बन सकती है।