वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, भारत की प्राचीनतम और पवित्र नगरी है। यहां स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। महाशिवरात्रि के अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और भव्य आयोजनों का आयोजन होता है, जो देश-विदेश से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का प्रमुख पर्व है। यह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालकूट विष का पान किया था, जिससे संसार की रक्षा हुई। इस पर्व पर भक्त उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली है। यह मंदिर कई बार विध्वंस और पुनर्निर्माण का साक्षी रहा है। वर्तमान मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है, जिसमें स्वर्ण मंडित शिखर और उत्कृष्ट नक्काशी शामिल है। यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और श्रद्धालुओं के लिए विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है।
महाशिवरात्रि पर काशी विश्वनाथ मंदिर में आयोजन
महाशिवरात्रि के अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, रात्रि जागरण, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष, महाशिवरात्रि पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है, जिसमें जगमगाती लाइटें और फूलों की सजावट शामिल है। मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं, जिससे उन्हें सुगम दर्शन प्राप्त हो सके। इसके अलावा, मंदिर परिसर और विभिन्न स्थलों पर एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं, ताकि भक्तजन पूजा-अर्चना का सीधा प्रसारण देख सकें।
अखाड़ों की शोभायात्रा
महाशिवरात्रि के अवसर पर विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत और नागा साधु भव्य शोभायात्रा निकालते हैं। इस वर्ष, महाकुंभ से आए अखाड़ों के प्रमुखों और अन्य संतों ने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना से पहले भव्य जुलूस निकाला। यह जुलूस हनुमान घाट और हरिश्चंद्र घाट से शुरू होकर गोदौलिया चौराहा होते हुए मंदिर तक पहुंचा। संतों और अखाड़ा प्रमुखों को सुबह 6 से 9 बजे तक मंदिर में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी गई।
श्रद्धालुओं की भीड़ और व्यवस्थाएं
महाशिवरात्रि पर काशी विश्वनाथ मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस वर्ष, अनुमानित 25 लाख भक्तों के पहुंचने की संभावना है, जो पिछले सभी रिकॉर्ड्स को पार कर रहा है। आधी रात से ही मंदिर के बाहर 3 किलोमीटर लंबी कतारें लगी हैं। मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन ने भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं, जिसमें चारों प्रवेश द्वारों से सुगम प्रवेश और निकास की व्यवस्था शामिल है। गेट नंबर 4 से अखाड़ों, साधु-संतों और नागा संन्यासियों को प्रवेश दिया गया, जबकि अन्य गेट्स से आम भक्तों का प्रवेश सुनिश्चित किया गया।
सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियां
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में पुलिस, अर्धसैनिक बल, एटीएस कमांडो और एसटीएफ तैनात हैं। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और जिलाधिकारी एस. राजलिंगम सहित उच्चाधिकारी लगातार क्षेत्र का दौरा कर हालात का जायजा ले रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वीआईपी और प्रोटोकॉल को निरस्त कर दिया गया है, ताकि हर भक्त को बाबा के दर्शन का समान अवसर मिल सके।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और शिव बारात
महाशिवरात्रि के अवसर पर काशी में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। पारंपरिक ‘शिव बारात’ जुलूस महाशिवरात्रि के एक दिन बाद निकाला जाता है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की झांकी प्रस्तुत की जाती है। इस जुलूस में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं, जो भक्ति और उत्साह के साथ इस आयोजन का आनंद लेते हैं।
गंगा स्नान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान
महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। गंगा घाटों पर विशेष व्यवस्था की गई है, ताकि भक्तजन सुगमता से स्नान कर सकें। इसके अलावा, विभिन्न मंदिरों और आश्रमों में रुद्राभिषेक, हवन, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्तजन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।